हमे अपना व्यवहार एवम कर्म सोच समझ के करना चाहिए क्योंकि ईश्वर हमे॑ हमारे अच्छे और बुरे कर्मों का फल यहीं दे देता हैं । कोई अगर किसी इंसान के साथ अच्छा करता है तो उसके बदले अच्छे और अगर धोखा और विश्वासघात करता है तो ईश्वर उसे उसका फल भी अवश्य देता है। नियति के चक्र से कोई नही बच सकता।
बड़ी इत्तेफाक़ से किसी ने कहा है ...... आज कर्म करो फल कल मिलेगा आज भूख लगी है खाना कल खाऊंगा खुदा न करे भूख से गर कुछ हो गया तो इसका जिम्मेवार कौन होगा..........???? खुदा या स्वयं मैं यदि मेरा कर्म भूख के ही साथ चल बसा तो आने वाला कल का मैं क्या करूँगा....???? Please help me in answer...........