घन से गिरा सीप में की एक पहचान बन जाऊँ।
खोलूँ आँखें जग में उमीदों का इंसान बन जाऊँ।
सपनों का बादल तानू जज़्बों का मुस्कान बन जाऊँ।
ख्वाहिशों को कैद में डालू नफ़्स का शैतान बन जाऊँ।
दरिया की गहराई नापू मंशो को जानू।
कश्ती को मोडू और साहिल का इम्कान बन जाऊँ।
कदम से कदम बढ़ाऊ पर्वत को छू लू।
दीप से दीप जलाऊँ बिखरे मोती की शान बन जाऊँ।
मन प्रेरित कर जीवन का अभिमान बन जाऊँ।
साँझ को डूबे सूरज का अभियान बन जाऊँ।
थके कदम चलते चलते अब कंधो पे चलना है।
मिट्टी से बना मिट्टी में मिलू और मिट्टी की जान बन जाऊँ।
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