वजूद अब खोने लगा है ,
कदम भी सहसा ,
लड़-खडा़ने लगे है .....
स्मरण शक्ति विलुप्त होती ,
पर मेरे अपने बहुत याद आते ....
इस एकाकीपन में ही ,
खुशीयाँ को खोजना है ....
बिताया जो एक दशक मैने ,
वो लम्हे अब भी ,
नजरों से टकारते है ...
मुस्कान सजती है ,
पर अब वेदना अश्रु भी ,
आंखों में समाए रहते है ...
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