कोई ... ! कैसे नाप सकता हैं , एक औरत के .... हृदय की गहराई को .... क्योंकि उस गहराई में , घाव हैं .... अनगिनत खंजर के , और समाये हैं .... अवशेष आशाओं के , उदासी पर दीमक लगी हैं .... जर्जर पडी आत्मा हैं , लबों की कली पर .... जीवित है , रंग-बिरंगी मुस्कान ....
मै तो हर बार फिक्र करती हूं तुम भी कभी चार शब्द बोल देते ज़रा एडजस्ट कर लेते तुम्हारे इंतजार में जागते थे वक़्त निकालकर उस जागने को मोल देते ज़रा एडजस्ट कर लेते तुम्हे पसंद नहीं गुस्सा हमारा तो हमारे मन की बाते खुद ही टटोल लेते ज़रा एडजस्ट कर लेते हमें बाते करना पसंद है इसीलिए हमसे बेवजह बात करते ज़रा एडजस्ट कर लेते