ये कहर जो तूने मचा रखा, इसे और नहीं सह सकता हूँ;
तेरी ये गीदङ भभकी सुनकर, शान्त नहीं रह सकता हूँ।
क्यों तेरी मति मारी गई, जो शेर की माँद में झाँक रहा;
घायल शेर को मत छेङो, फिर मारे बिन न रह सकता है।।
तूने करनी खराब कर ली, अब जाकर जन्नत में रोना;
क्यों मचा रखी है तबाही तूने, दूबर कर दूँगा तेरा सोना।
एक बार छूट दे दो मोदी जी,अपने शेर जवानों को;
आकाश, पताल और धरती पर, छिपने को न मिलेगा कोना।।
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