तेरे आने की एक आहट- सी सुनी थी मैंने
और फिर तुमसे हुई क्या बात , कुछ याद नही
तुमसे मिलकर जो मैंने कुछ गीत लिखे थे
कैसे-कैसे थे नगमात , कुछ याद नही
पिछली बारिश में झुम के बरसा था सावन
अब के गुजरी है कैसे बरसात , कुछ याद नही
कुछ खोए से थे तुम , कुछ खोए से थे हम
कैसे गुजरे वो लम्हात , कुछ याद नही
हम मिले कब और कब जुदा हो गए
कहा तुमसे हुई थी मुलाकात , कुछ याद नही
बेखुदी कुछ बढ़-सी गई ,जब प्यार हुआ तुमसे
कितने मासूम थे वो जज़्बात , कुछ याद नही
तुमने फूलों की महक दी या कांटों की चुभन
क्या दी तुमने सौगात , कुछ याद नही
-