सच मानो ये बारिश मुझे बहुत सताती हैं,
कभी बूंदों से कभी फूहारो से भीगा जाती हैं।
हाँ, तुम्हारी याद हर बार दिला जाती हैं,
बेचैन मुझे फिर इस कदर कर जाती हैं।
हर बूँद के साथ इंतजार और बढ़ा जाती हैं ,
मदहोश मन को विचलित कर ही जाती हैं।
अब तुम ही बताओ कैसे हम ये ना कहें,
बारिश बहुत अच्छी लगती हैं अब हमें।
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