काग़ज़ पे उसका नाम लिख कर मिटा देता हूँ
हाँ हिमाक़त कई बार कर देता हूँ......
1- हूँ बदनाम ,है इल्ज़ाम , मैं नशेयी ...हाँ मैं नशेयी
कि इक समंदर ग़म-ए-इश्क़ पिए बैठा हूँ.......
2- हो जाता है गुनाह....हो जाता है गुनाह
मुझ से कभी ..
जब उसका नाम लबों से छू लेता हूँ ......
Nandinipriya
( continued in caption)
I had penned this ghazal ..26.08.2015
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