उनकी और मेरी पहली मुलाकात थी
दो दिलों के जुडने की शुरुआत थी
न जाने कैसे अनजाने डर की बरसात थी
खुदा की अदालत में मुझे अपना बनाने की शायद उनकी दर्ख्वास्त थी
ऐसी मुलाकात पहली नहीं थी उनकी, शायद
प्यार के सपने पहले भी बुन चुकी थी वो,शायद
अजीब कसमकस थी चेहरे पे उनके, शायद
इम्तिहान की घड़ी थी मेरी, शायद
होठों पर कुछ था कहने को
पर आँखों मे एक डर था उनके , शायद
कुछ था अतीत उनका जो चुभ रहा था
पर दिल मेरे संग भविष्य के सपने बुन रहा था, शायद
आंखें उनकी नम थी, शायद बुरा था वो साया
जीवन में पहली बार, वो मोती मुझे ना भाया
एकाएक उनके होठों की हरकत हुई
मेरे कानों को उनके प्रश्न की बरकत हुई
क्या तुम्हें प्रतीत है, मेरा एक अतीत है
झूठ बोलकर चाहती नहीं हुं पाना
सच कहकर नहीं है तुमको खोना
आंखों में आंखें थी, शायद उन्हें उत्तर की थी दरकार
पर न जाने क्यूँ हमारे बीच, चुप्पी रही बरकरार
न जाने मेरी चुप्पी मेरी गलती थी
या उन्हें जवाब की जल्दी थी
कहने लगी जाते जाते
चाहती हूं तेरे संग करना अपना सपना पूरा
मैंने भी हाथ थाम गले लगाया और समझाया
"दाग बिना चांद अधुरा"
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