QUOTES ON #EQUALITY

#equality quotes

Trending | Latest
15 APR AT 17:53

सजने की क्या ही ज़रूरत अब हम दोनों को
जब देखते हैं एक दूसरे को तो
खुद ब खुद सज जाते हैं

-


14 APR AT 16:07

Wishing, Happy Dr. B.R. Ambedkar Jayanti has achieved a contributions field of social justice and equality. Work on modern society and ways to continue his legacy in today's world.

-


12 APR AT 12:33

कभी मिलने देर से आऊँ
तो नाराज़ ना होना
ऐसा नहीं है कि किसी काम की वजह से नहीं आया
जितना तुम सज कर आती हो मेरे लिए
उतना मैं भी सजने की कोशिश कर रहा हूँ तुम्हारे लिए

-


5 APR AT 22:43

The catamenial week was a nightmare,
The girl near the slum slept in despair.
Purity & sanctity were mere phrases.
Her mind & body parted in those days.

Not to forget the homophilic identity,
Where they are treated as an unique entity.
Neither it's a problem nor it's a choice,
Sadly, they are in a closet to raise their voice.

The streetwalkers aren't left behind,
The addict never has an attitude so kind.
When basic needs are out of reach,
They rush to a couch near the beach.

How unworshipped are the people above!
They live a life bereft of love.
The harsh creator turned a blind eye,
With a silent hope, their eyes turn dry.

-Pallavi



























-


3 APR AT 9:02

Paid Content

-


30 MAR AT 11:20

प्यार में हक दोनों का होता है
अगर प्यार करने का दावा करते हो तो
हक देना भी सीखो!!

-


27 MAR AT 15:19

मैं सनातनी हूँ।
हृदय में राम बसते हैं मेरे।
मैं भी देवालय जाकर ,
पूजा-पाठ करता हूँ।
जलाभिषेक करता हूँ,
चंडी पाठ पढ़ता हूँ,
और राम नाम का जाप करता हूँ।
यही तो संस्कृति है हमारी।
हम इस सभ्यता के निर्माता हैं।
किंतु आज मुझे बड़ा अचरज होता है।
राम नाम उद्घोष हर गली में होता है।
देश का प्रत्येक बालक जय श्री राम बोलता है।
राम-राम कहने में कोई बुराई नहीं है।
लेकिन राम के नाम से दूसरे संप्रदायों,
पर कटाक्ष करना क्या उचित है ?
विडंबना तो ये है ,भक्ति लेशमात्र भी नहीं है।
जय श्री राम का प्रयोग हम अपने,
निजी स्वार्थ के लिए करने लगे हैं।
प्रत्येक मंच पर जय श्री राम का नारा लगाना,
क्या न्यायसंगत है ?
शिक्षण संस्थानों में राम नाम की जुमले बाज़ी क्या
तर्कसंगत है ?
क्या इतना ही है हमारे लिए राम के नाम का महत्व ?



— % &किसी को भी राम नाम का अर्थ ज्ञात नहीं है।
किसी को भी राम की मर्यादा से सरोकार नहीं है।
अपने अहं को शांत करने का ये सूत्र बना डाला है।
जय श्रीराम के शंखनाद का विगुल बजा डाला है।
अरे ! कुछ शिक्षा लो राम के चरित्र से।
राम के चरणों में नतमस्तक तो हो जाओगे,
लेकिन क्या कभी उनके आचरण को तुम अपने जीवन में उतार पाओगे।
मर्यादा पुरुषोत्तम हैं वो, मर्यादा में रहते हैं,
उस मर्यादा के निर्वहन के लिए १४ वर्षों तक कष्ट सहते हैं।
क्या कभी तुम उनके चरणों की रज भी बन पाओगे ?
इस मानसिकता का त्याग करों, उठो , जागो,
राम के नाम का जाप करों।
न की उपहास करो।
--अभिषेक थपलियाल।



— % &

-


26 MAR AT 20:04

Everyone will not be
Same

-


24 MAR AT 23:09

It is a blessing for us that we have with us a mother, a sister, a wife, or a woman for a relationship;
For it is the divinity in her that roles as a Sarasvati, a Lakshmi, a Durga, an Annapurna.
And if it is a responsibility, a duty, or even a burden,
One has the choice to be even a Kali.

Be whoever you want to be,
Or choose to be;
Yet, never become someone you ought not to be.
It is the history and the situations that are responsible. Think, and heed the truth,
you shall have the answer.

-


23 MAR AT 13:12

चलो आज बात कुछ यूं कर‌ लें
अपने अपने दायरों का हिसाब कर लें.....
तेरे हिस्से में कितना तू आता है
मेरे हिस्से में कितनी मैं
चल आज यह बात भी साफ कर लें
तेरे हिस्से में जवाब ही क्यूं
मेरे हिस्से में सवाल ही क्यूं
तेरे हिस्से में कहना ही क्यूं
मेरे हिस्से में पूछना ही क्यूं
तेरे हिस्से में पूरी मर्जी तेरी
मेरे हिस्से में सिर्फ तेरी इजाजत ही क्यूं
तुम्हें नहीं लगता कि ये जायज नहीं
तेरे हिस्से में सिर्फ तू
मेरे हिस्से में पूरी मैं भी नहीं
क्यूं ना रिश्तों के इस दोहरे चेहरे की धूल भी साफ कर लें
अपने अपने दायरों का हिसाब कर लें..….
सवाल ये है कि
मुझे मेरे हिस्से में जीने के लिए तेरी इजाजत की जरूरत ही क्यूं है
हर रोज तेरी हां या ना के बीच घुटते रहने की जरूरत क्यूं है
ये सारे कायदे ये सारे बोझ मेरे हिस्से में ही क्यूं है
मेरा हिस्सा तेरी तमदील इजाजत का मोहताज क्यूं है
जब हिस्से बराबर है तो दस्तूर क्यूं नहीं
तू भी मेरी इजाजत की घुटन का बोझ उठाने के लिए मजबूर क्यूं नहीं
सवाल बहोत है पर असली सवाल तो यही है ना
मेरे हिस्से में जवाब और तेरे हिस्से में सवाल क्यूं नहीं
चल आज हिस्से बदलकर इंसाफ कर लें
अपने अपने दायरों का हिसाब कर लें....…..

-