बस कुछ सपने जो साथ में हैं, उनके ही कारण जिंदा हूं,
बाकी वो जो बीत गए, उनके मरने से शर्मिंदा हूं।
बीते सपनों की आहट मुझको सोने नही देती है,
बचे हुओं की ऐसी फितरत, रोने नही देती है।
थोड़ी और कोशिश, थोड़ी और मेहनत,
सपने ये कहते जाए रे़,
बिन सपनो के जिंदा रहना, कैसा मृत जीवन हाय रे,
बिन सपनो के जिंदा रहना, कैसा मृत जीवन हाय रे।
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