इंजीनियरिंग और मैं
इंजीनियरिंग करते-करते जिंदगी में संघर्ष करना भी सीख गई
खाना बनाना नहीं आता था खाना बनाना भी सीख गई
लोगों को देखकर घबराती थी अब उनका सामना करना भी सीख गई
छोटे-छोटे चोटों पर रो दिया करती थी अब बड़े-बड़े चोट भी सहना सीख गई
जल्दी सोने की आदत थी अब असाइनमेंट के चक्कर में रातों में जगना सीख गई
कम मार्क आने पर रो दिया करती थी अब बैक पेपर लगने पर आंखों में आंसू लेकर हंसना भी सीख गई
अकेले रहने से डरती थी अब तो अकेला रहना भी सीख गई
घर से दूर जाने का तमाना रखा करती थी अब घर जाने को तरस गई
कुछ ऐसी है मेरी कहानी, इंजीनियरिंग लेकर दुनियादारी ही सीख गई।
-Ruchi Tiwari
-