कविता को दरबारी मत कर,
या फिर हमसे यारी मत कर!
हम घर फूंक तमाशे वाले,
हरगिज होङ हमारी मत कर!
बहरों से बेगाना बनकर,
ग़ज़लों से गद्दारी मत कर!
बदलेंगे हालात यक़ीनन,
दिल को इतना भारी मत कर!
कुछ तो अपनापा रहने दे,
हरदम दुनियाँदारी मत कर!
कभी किसी दिन हाथ पसारे,
इतनी भी दातारी मत कर!
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