तकरीरें तो बहुत हुई अंजुमन में,
सामने तो बैठो,कभी दीदार के लिए।
ये हवाएं भी अब साजिशें करने लगेगी,
तेरे चेहरे से जुल्फों को हटाने के लिए।
चाँदनी रात है,और चाँद भी बेक़रार है,
सबनम बनकर तेरे चेहरे पर बरसने के लिए।
हो इज़ाज़त गर,उँगलियों को फेर दूँ मैं जरा
तेरे जुल्फों के लटों को सुलझाने के लिए।
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