वो बिखरी चारो ओर धरा पे,छोटी छोटी प्यारी बूंदे
वो कर दे हरा भरा धरा को,चमकीली न्यारी बूंदे ,
मिल जाए जो ईक होकर ,बन जाती है सैलाब बूदे,
नही बांध पाएगे तेरे बाध ,बडती जा रही है बेहिसाब बूदे।
टूट रहे है लगाए बाध दरिया पे,देखो दे रही है जबाब बूंदे ।
रोक सकता है तू दरिया को मगर ,
कहा रूकते है जो बन उठे सैलाब बूदे ।
मिल जाएगी जब एकहोकर सब ,
ला देगी धरा पे जलजले,तुफान वूंदे।
फायदा बताने वाले बरसात का समझलेना,
भर ना पाएगे ईतना कर जाएगी नुकसान बूंदे।
ना समझ नासमझ ईनहे ईतनी नादान बूंदे,
ऊखाड जाएगी ईसबार तेरा बनाया भगवान बूदे।
कहर पे आ जाए तो हिला देती है आसमान बूंदे।
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