वाह नेता तेरा भी खेल अनूठा है,
जलमग्न है शहर या गाँव में पड़ा सूखा है ...
क्या खाएगा किसान बेचारा ,
जिसने खून पसीने से धरती को सींचा है ...
डूब गई है योजनाएं सभी,
नेताओं का वादा भी झूँठा है ...
भ्रष्ट नेता तो रहे बड़े महलों में,
क्यों किसान का घर,आज भी छोटा है ...
वोट माँगने घर-घर आते हो ,
विकास के नाम पर बस धोखा है...!!
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