इतनी सी बात ना समझा जमाना,
आदमी जो चलता रहे तो मिल जाये खजाना,
आंधियो को चिरकर खुद बन जाये जमाना,
अगर मरते दम तक हार उसने ना माना...
जिसने भी "क्या कहेगे लोग",ऐसा रोग ना है पाला,
सच कह रहा हूं,
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कर गये है वो लोग "जो भी है जिसने ठाना" !
आदमी जो चलता रहे तो मिल जाये खजाना!
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