तमिस्र विभावरी के बाद
जिस तरह चढ़ता है उसी तरह ढलता है,
वक्त जैसा भी हो हर रोज बदलता है,
खौफ नहीं दरिया की गहराई से,
जिसमें डूबने का हुनर हो वही उभरता है,
हालात से लड़ता रहूंगा जब तक,
बिगड़ा मुकद्दर नहीं सवरता है,
हार भी मिले तो कुछ सीख जाएंगे,
आखिर जिंदगी तू एक ही बार तो मिलता है।
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