जले जो अबके दीप अंतस का,
तो शुभ ये दीप पर्व हो।
मिटे जो तम जरा हिय का,
तो शुभ ये दीप पर्व हो।
सजे संतोष की जो रंगोली,
तो शुभ ये दीप पर्व हो।
बंधे द्वारे जो प्रीत की डोरी,
तो शुभ ये दीप पर्व हो।
बसे गृह में जो प्रेम की लक्ष्मी,
तो शुभ ये दीप पर्व हो।
हो प्रकाशित जो आत्म की रश्मि,
तो शुभ ये दीप पर्व हो...
- Anubha"Aashna"
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