दोस्ती की राह में अनेकों मिलेंगे,
दोस्ती की चाह में अनेकों भिड़ेंगे,
करनी है तुम्हें दोस्ती,
क्यों की कोशिश तो वे बार-बार करेंगे,
अगर कर ली दोस्ती पर उस पर ऐतबार नहीं तुम्हें,
तोड़ दो दोस्ती क्या एतराज है तुम्हें,
सच्चा मित्र बनाना नहीं स्वयं खुद-ब-खुद बनता है,
वक्त ठहरता है और जीवन में एक और नया अध्याय जुड़ जाएं,
वे पल आज याद बनकर लफ्जो में उतरे,
जाने क्यों लिखते लिखते मेरी आंखों से आंसू छलके.
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