Dhalta Sooraj Kuchh Yun Sikha Jati Hai
Ke Sabr Rakho
Chahe Andhera Ghir Le Iss Shaam Ko
Umeedon Ke Sang Phir Sawera Aahi Jati Hai
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क्या? कभी सूरज को ढलते हुए देखा हैं
ये हमारी ज़िंदगी की रफ़्तार को दिखाता हैं
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दुनिया है आसमान की तरह,
इंसान टूटते है सितारों की तरह।
आसमान को गम नहीं कोई,
वो भी है इस दुनिया की तरह।-
आंखो से बादल छट गये
वो मायुस शामें गुज़र गई
रात की अंधियारी को चिर
एक नया सूरज
एक नयी किरण के साथ
आ लौटा है मेरे पास
ये सुबह कुछ नयी सी है
हाँ सब कुछ बदला सा है
अरे देखो यारों ज़रा
मेरी उम्मीदों का ढलता सूरज
आज फिर से उदित हुआ है-
क्या कभी सूरज को ढल कर उगते हुए देखा है
ये हमारी ज़िंदगी को एक नए आगाज़ की सुबह बताता है-
जैसे सूरज का रंग गहरा होता जाता है....
वैसे ही ढलती उम्र के साथ हमारा प्यार
भी गहरा होता जाएगा.....-
डर डूबने का होता तो फिर कुछ हासिल करते कैसे ?
सूरज भी शाम को ढलता है सुबह उदय होने के लिए !-
शाम का सूरज हूं मैं पिया ,जल कर ढल जाना फितरत हैं मेरी
बोलो कैसे मिटा दू उस रब्ब का लिखा ,जिसमे उससे मिलन ना हो पाना किस्मत है मेरी...
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ढलता सूर्य जैसे...
नये दिन की शुरुआत
ढलता सूर्य जैसे...
स्वपनो की उड़ान
ढलता सूर्य जैसे...
नई ख़्वाहिशों का पिटारा
ढलता सूर्य जैसे...
नई उम्मीदो का नया दिन.... 🙂-
ढलते हुए सूरज से एक बात सीखी है मैंने,
चाहे जितना भी चमक लो, आखिर डूबना ही है।-