पुरूष प्रधान देश है,
मैं कैसे लिखूँ,
पुरुष गलत है !
मैं उठाती हूँ कलम,
फ़िर रूह तक काँप जाती हूँ !!
पुरूष प्रधान देश है,
मैं कैसे लिखूँ,
पुरूष में हवस है !
मैं उठाती हूँ कलम,
फिर हिम्मत हार जाती हूँ !!
पुरुष प्रधान देश है,
मैं कैसे लिखूँ,
पुरुष अपवित्र है !
मैं उठाती हूँ कलम,
फ़िर खौफ़जदा हो जाती हूँ !!
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