QUOTES ON #DESH

#desh quotes

Trending | Latest
22 JUN 2020 AT 11:09

सदैव समर्पित हो वतन के लिए हर माँ को ऐसा रतन चाहिए
शहादत पर जिसके रोएं नहीं गर्व करे बस ऐसा ही उसको ललन चाहिए

-


6 APR 2020 AT 13:16

जैसे हमनें दीप जलाऐं एकता का संकल्प दोहराऐं
अब एक कदम और बढ़ाऐं ,हर गरीब मजलूमों के घर चूल्हा जलाऐं

कोई भूखा ना सो पाऐं ,ऐसी सोच हम सब अपने अंदर लाऐं
अपने आस पास दस (10 ) घरों पर नजर बनाऐं

मिल जाएगा कोई ना कोई जरुरत मंद
सहायता उनकी कर मानवता का धर्म बचाऐं

सरकार के भरोसे ही क्यों हम बैठ जाऐं
एक नागरिक होने का आओं हम भी अपना कर्त्तव्य निभाऐं

दों - चार हजार से हमें कुछ नहीं होगा
पर उनकी जिन्दगी पर बहुत बड़ा फ़र्क आऐगा

उसके चहरे का मुस्कान आपको जवाब दे जाएगा
देश का कर्ज़ चुकाऐं आओं अपना -अपना फर्ज़ निभाऐं ।।
🙏🙏

-


28 APR 2020 AT 14:20

रूप रंग वारी वारी
उमर में बारी बारी

कारी कजरारी कारी
काजल की कोर काली
कारी कारी भौंह जाकी
लट कारी कारी हैं

चाल हो सो चाल चाल
चाल चटकीली चाल
चपला सी चमके और
गले माल मेली है

बिलना सी बेली बेली
देह अलबेली बेली
बेली सी हथेली और
नूतन नवेली है ..

-


29 JUN 2020 AT 10:10

अखबार में देश के हालात को पढ़ ठेस बहुत पहुंची साहब,,,,,
गरीब को उसी अखबार पर रोटी मिली तो खुश हो गया....!!!!!

-


22 MAR 2021 AT 7:10

जन्म से बड़ा बलवान हूं ,
राजनीति का अभिमान हूं l
लौह पुरुष हूं मैं इसलिए महान हूं ll

ना झुका हूं कभी ना रुका हूं ,
मुश्किलों से हरदम लड़ा हूं l
लौहा पुरुष हूं मैं इसलिए महान हूं ll

भारत मां के लिए हरदम लड़ा हूं ,
मन रूप से स्वतंत्र हूं l
देश की स्वतंत्रता में भागी हूं
लौह पुरुष हूं मैं इसलिए महान हूं ll

शत-शत नमन करूं मैं भारत मां को
मैं सरदारपटेल भारत का वासी हूं l
लौह पुरुष हूं मैं इसलिए महान हूं ll

-


19 DEC 2019 AT 20:47

Ab to aphvaahye aapfat se hain..
Ye pani ye hawayein bhi khilafat se hain..
Kya samjhe or Kya samjhaye kisiko,,
Desh ke log lagate nhi hifazat se hain..

-



पुरूष प्रधान देश है,
मैं कैसे लिखूँ,
पुरुष गलत है !
मैं उठाती हूँ कलम,
फ़िर रूह तक काँप जाती हूँ !!

पुरूष प्रधान देश है,
मैं कैसे लिखूँ,
पुरूष में हवस है !
मैं उठाती हूँ कलम,
फिर हिम्मत हार जाती हूँ !!

पुरुष प्रधान देश है,
मैं कैसे लिखूँ,
पुरुष अपवित्र है !
मैं उठाती हूँ कलम,
फ़िर खौफ़जदा हो जाती हूँ !!

-


18 AUG 2020 AT 8:39

आज़ादी कहीं शांति से मिल पाएगी
ये वो शह जो मौत का तांडव रचाएगी
नग्न सिर के लिए फांसी के तख्ते होगे
वहां हमारे आज़ादी के मतवाले लटके होंगे
खून जो कभी खौलता नहीं
सच के लिए भी बोलता नहीं
वो खून नहीं पानी हैं
करने दे अंग्रेजों जो करनी मनमानी है
हम भी उनको धूल चटाने की अब ठानी है
शब्दों में इतना ओज था
हजारों लोगों में भी तो रोष था
खड़े से सारे कंधे से कंधा मिलाकर
क्यूंकि गुलामी से बड़ा न कोई बोझ था
तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा
ये नारा गूंजा चहुं ओर था
स्वतंत्रता निकट ही थी क्यूंकि अंधेरा घनघोर था
है समय वह पर्वत जिससे मतवाले टकराया करते है
तभी तो रक्त रंजीत हाथों से वह इतिहास लिख जाया करते हैं
मौत भी जिन्हें डरा नहीं पाती
वह सुभाष चन्द्र बोस कहलाया करते है

-


7 APR 2021 AT 11:17

कि देश को बचाने में
योगदान तो सबका था l

लेकिन इतिहास उन्हीं का लिखा गया
जिनका महल सबसे ऊंचा था

-


18 AUG 2020 AT 23:03

सुभाष चन्द्र बोस जी





एक छोटा सा प्रयास

-