“love never demands that , all the time i be with you it is more than enough if i saw you , at least for second my whole day can pass dream filled with your fragrance”
किसी ने पूछा है मेरी मोहब्बत कैसी होनी चाहिए...... कुछ ऐसी
होंठ गुलाब की पंखुड़ी हो न हो जुवां पर मिठास होनी चाहिए हुस्न चमकदार हो न हो पर सादगी पास होनी चाहिए आंखों में मधुशाला हो न हो पर शर्म बेशुमार होनी चाहिए लव खामोश भी रहे तो क्या दिल की बात इजहार होनी चाहिए
जुर्म करने वालों की नियत कब से आदिल होने लगी इस अधूरे शख्स की बात कब से कामिल होने लगी वो कहते हैं एक रिश्ता होता था हमारा तुम्हारा भी अरे बस दिल्लगी रिश्तों में कब से शामिल होने लगी
चलो आज फिर से, किसीके जले पर नमक छिड़का जाए. समाज को समाज की ही, दो कौड़ी की औकात दिखाया जाए.. ज़िन्दगी जीने के लिए, जो तोड़-तरीके बनाए हो ना तुम लोग! साला वही अब, ज़िन्दगी तबाह करने पे तुला हुआ है,, ये बात, तुम सबको कैसे समझाया जाए ???
"And when he demanded for more, she was afraid....because, she had nothing more to give him....busy demanding, he did not see her getting insecure nd tired of trying to save that relationship....."
किसी से छीनकर तुम्हें हम तख्त तो दे नहीं सकते तुम मासूम हो तुम्हें सजा सख़्त तो दे नहीं सकते तुमने तो इश्क में कितने वादे किए कुछ याद भी है तुम तो जान देने को हाजिर थे आज वक्त नहीं दे सकते
जिसके चराग़ से रोशन है घर-आंगन तेरा, उससे चराग़ को घर रखने का किराया मांगों... कहके कि दस्तूर है, जमाने का चलन है यही, कभी औकात से कम, तो कभी जियादा मांगों... कि अहसान किसपे, किसका है, अब कौन कहे, एक दफा दे भी दिया उसने, तो हर दफाया मांगों...
आ 'अजनबी' अक्सर आते जाते ख्यालों का पीछा करें कहीं तो मिलेंगे जबाव तेरे मन के सवालों का पीछा करें तन्हाइयों में रहकर और तन्हाईयां ही तो हासिल हुई हैं अंधेरा कब तक साथ चलेगा आ उजालों का पीछा करें जिन्दगी के युद्ध शुरू हुए तलवारें तो खींचनी होंगी अब सामने से आ बार करेंगे कब तक यूं ढालों का पीछा करें खुद डूबने आए तो सारा इश्क-ए-समन्दर सौंप देना और नहीं कब कब तक गुलाबी गालों का पीछा करें
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