तुम खुश रहो सदा, मै भी तेरे ही सुकुन में हूँ Summer vacation मे मिलोगी, मै भी इंतज़ार-ए-जून में हूँ मुझसे मिलने आओगी, आ जाना, स्वागत है मै तो यही देहरादून में हूँ
ये कैसा धुआँ कैसी उल्फत कैसी आहट है मैं तो चुप ख़ामोश हूँ कहीं तो सुगबुगाहट है न मुझे रेंगना है, न चलना है, न दौड़ना है मुझे मत पुकारो मुझे बस सुकूँ की चाहत है।।
ज़िक्र मेरा हो तो तुम बस टाल देना टाल कर मिट्टी भी उस पर डाल देना कहना धोखा देना तो उसकी आदत है मुझे मत पुकारो मुझे बस सुकूँ की चाहत है।।
तेरा भी तेरा मेरा भी तेरा सब ही तेरा संभालकर लेजा जहां आखिर है डेरा कुछ भी न ले जाने की ये कैसी घबराहट है मुझे तो मत पुकारो मुझे बस सुकूँ की चाहत है।।
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