जीवन पर्यन्त की दीपावली
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हर साल,दीपावली आती है।
हर साल, वस्तुओं के धूल,
झाड़ दिए जाते हैं।
और बन्द कर दी जाती है,
दीवारों की दरारें।
हर साल ,रंगहीन वस्तुओं को,
रंगीन किया जाता है।
फिर जलते हैं असंख्य दीप
एक रात्रि के लिए,
एक साथ ,चारों ओर।
और कल के सूर्योदय के साथ,
होता है, दीपावली का समापन।
किन्तु इस बार, झाड़ कर देखना,
उस धूल को ,जो मन में जमी है
और बन्द कर देना,रिश्तों की दरारें।
रंगहीन भावनाओं को, रंगीन कर देना,
और जला देना एक दीया, प्रसन्नता के नाम।
एक दीपक प्रज्ज्वलित करना,
बुराइयों के चिता के लिए।
और मन के अंधकार में,
एक दीप ज्ञान का जलाना।
और देखना,
ये दीप, जीवन पर्यन्त जलते रहेंगे।
इस दीपावली के ,समापन का सूर्योदय,
कभी नहीं होगा।।
- संकल्प अनुसंधान योगपथ
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