है दीन हमारा ,और ईमान हया है
है महफ़िल की अज़मत और शान हया है
खुशबु जिसकी फैले हर सिम्त चमन में
ये खालिक़-ए-मुहम्मद का फरमान हया है
नहीं हुक्म कि तुम घूमों, बेपर्दाह सर-ए-बज़ार
हाँ इल्म से कर सकती हो, तुम दुनिया में बहोत नाम
पर क़िरदार की अपनी एक शिनाख़्त है आ'ला
और याद रखो इज़्ज़त का नाम हया है
है दीन हमारा................
करो पैदा वक़ार इतना खुद में अये बिन्त-ए-हव्वा
जो गुज़रे कोई राह से तो झुक जाये उसकी मिज़ह
नहीं क़ैद में रखा है इस्लाम ने तुमको
बस ये जान लो गौहर की पहचान हया है
है दीन हमारा.....
है अज़ीज़ तर जो रब को वो नूर -ए- ज़न है
है रूह की ठंडक और नूर-ए-चश्म है
मरयम और आयशा की मान हया है
है फातिमा का पैकर और जान हया है
है दीन हमारा....
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