QUOTES ON #DASHT

#dasht quotes

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5 JUL 2017 AT 19:05

एक दौर में हम मुंतज़िर थे उनके
आज ये वक्त कि वो हमारे तलबगार हैं...

तब विसाल ऐ यार का हमें ना था सुकून कहीं
आज हमारा ये परदा उनको गंवारा नहीं...

तब दश्त ऐ ख़ामोशी में हम थे भटकते
आज अल्फ़ाज़ ऐ सराब को वो हैं तरसते!

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4 MAY 2018 AT 16:56

Yeh dasht e junoon
Yeh sahra e tanhai
Khaak se huye phirte hai
Magar khaak hone se pehle

.....Rafat Akhtar





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22 FEB 2020 AT 20:32

तु क्या जाने तेरी "ना" कितनी तसव्वुर होती है
घने जंगल में भी दश्त-ए-धूप मेहसूस होती है

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16 APR 2019 AT 10:35

हर सांस मे तरन्नुम है
ख़श्क आवाज़ लिये

देखे मिलता क्या है
अश्क आवाज़ लिये

पेड़ जलता तो है
दश्त आवाज़ लिये

वो टूटा आईने सा
मस्त आवाज़ लिये

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22 MAR 2021 AT 16:09

Bahar ke shor main kya dhondhte ho janab

Apne andr k dasht main
Jhaank kr dekho to jra

Hr pl mera pata vhi milta h......

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27 JUN 2020 AT 14:27

मुश्किल से जहां में वो एक शख़्स मिलता है,
जिसकी रूह में हमें अपना अक्स मिलता है।

बात बस होती है जरा सहेजकर रखने की ही,
वरना हर किसी को सहरा में दरख़्त मिलता है।

कितने ही करीने से रखी हों यादें दिल में समेट,
हर याद पे धूलभरा इक क़बा सख़्त मिलता है।

मिलती है मुकम्मल खुशी भले एक पल को ही,
बुझती शम्मा को जैसे सुकूं-ए-रक़्स मिलता है।

खो देते हैं लफ्ज़ भी मुताला-ए-मियाज़ में लोग,
बेइल्म हैं घने सन्नाटे के बाद ही दश्त मिलता है।

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3 MAY 2018 AT 14:27

پتھر کی دنیا میں شیشے ٹوٹ جاتے ہیں
کہ دشتِ غربت میں اپنے چھوٹ جاتے ہیں

पत्थर की दुनिया में शीशे टूट जाते हैं
के दश्त ए ग़ुरबत में अपने छूट जाते हैं

میخانے, یہ پروانے, بہاریں, اور گلشن
سبھی یہ تیرے جانے سے روٹھ جاتے ہیں

मैखाने ये परवाने बहारें और गुलशन
सभी ये तेरे जाने से रूठ जाते हैं

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2 MAY 2018 AT 15:30

दश्त-ए-तसव्वुर सूखा पडा है तिरे एक बूँद इश्क की चाह में,
महबूब मिरे जरा उस ओर अपनी एक नजर तो इनायत कर..!

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19 AUG 2019 AT 17:14

जो मुसाफ़िर को कोई याद सुहानी दे दे,
या ख़ुदा दश्त को वो रात की रानी दे दे..

جو مُسافِر کو کوئی رات سُہانی دے دے،
یا خُدا دشت کو وہ رات کی رانی دے دے۔۔

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27 DEC 2020 AT 9:56

मैं वादी ए ऐमन पे ही मौक़ूफ़ नहीं हूँ,
हर दश्त मिरा पर्सनली देखा हुआ है..

जन्नत से निकाला हुआ आदम हुँ मैं “अम्बर”
दोज़ख़ है उधर और इधर मेरी अना है..

میں وادی ایمن پے ہی موقوف نہیں ہوں،
ہر دشت میرا پرسنلی دیکھا ہوا ہے۔۔

جنّت سے نکالا ہوا آدم ہوں میں ”امبر“
دوزخ ہے اُدھر اور اِدھر میری عنہ ہے۔۔

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