कोहिनूर कोयले की खदान में भी पहचान पाता है,
उजाले में तो अक्सर लोग खामियां तलाशते हैं,
कौन कहता है तकाजा ऊंचा है उजालों का अंधेरों से??
जुगनू की चमक कभी तपती धूप में नहीं दिखती,
ना चांद अपनी पहचान दिन में पाता है,
यूं भी सुना है कि......
अगर होती तो काली संगमरमर की वो इमारत सफेद से ज्यादा तिलस्मी होती!!!!
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