"दहेज़ प्रथा"
एक घर से दूसरे घर पैसों के साथ भेजा जाता है
कैसा ये रिवाज,जिसमें लड़की का सौदा किया जाता है
इन पैसों से क्या सिर्फ लड़की का सामान ही आता है
या उनके घर कीमती वस्तु से,और तिजोरी को भर दिया जाता है
ज़रा भी कम मिलने पर,बहू को ताने दिए जाते हैैं
क्या वो अपनी बेटी के साथ ऐसा हुआ सहन कर पाते हैं
ना जाने कितनी लड़कियों को मजबूत बन,चुप बैठना पढ़ता है
गरीब होने पर,दिल पर पत्थर रख, खुश होना पढ़ता है
कितने ही अत्याचार कर,आज भी लोग जुल्म ढाया करते हैं
जलने की,खुदकुशी की खबर से अखबार भर जाया करते हैं
कृपा कर,इस प्रथा के संविधान को तुम रख दो कहीं
ना जाने कितनो की ज़िन्दगी दाव पर लग जाया करती है
देने और लेने,दोनों परिवारों को बर्बाद कर जाया करती है
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