मेरा घर एक सुन्दर मंदिर हैं, जहाँ राम की इच्छा समाई हैं ।
खुशियों से भरा परिवार मेरा , मेरे मन में उमंगे छाई हैं ।
धन्य-धन्य हैं बड़े भाई, जिन्होने हमें ऐसी सीख सिखाई हैं ।
आज नहीं हम सब के बीच पर , कीर्ति आपकी छाई है।
बहनें मेरी सीता जैसी , मेरे देवर लक्ष्मण से भाई हैं ।
हर पल , हर क्षण मुझे खुशी मिली , मैंने माँ की याद भुलायी हैं ।
देखो जो बैठे मोन रहें, अपने सपनों में खोये रहें ।
मैं सहसा लखि ना सकी उनको, वो सहज सरल रघुराई हैं ।
खुशियों से ------
मेरी बहुऐ घर का गौरव हैं, वो धैर्यशील कहलाई हैं ।
मेरे बेटों का तो क्या कहना, वो सागर की गहराई हैं ।
मेरी बेटियाँ घर की रौनक, मेरे घर का ताज जमाई हैं ।
मैं स्वयं समझ ना पायीं हूँ, मैंने कितनी रीत निभाईं हैं ।
खुशियों से ------
मेरी नातिन प्रेम की मूरत हैं, दिन रात मेरी परछाई हैं ।
मेरे पोते छोटे-छोटे हैं, कुछ नटखट कुछ लरकाई हैं ।
मैं सहज समझ ना पायीं हूँ, मैंने कितनी खुशियाँ पायीं हैं ।
खुशियों से ------
रखना मेरे बच्चों बाँध गाँठ, परिवार गाँठ ना खुल पाये ।
जो गाँठ खुली तो हाय लगी , फिर खिलते कमल ना बिखर जाये ।
ये बात समझ लो आज सभी, मैंने अनुभव सीख बतायी हैं ।
मेरी माँ से इतनी विनती हैं, मेरा हरा भरा परिवार रहें ।
शदियो तक इसमें कमल खिले, खुशियों की सदा बहार रहें ।
मेरी माँ तो सदा सहायी हैं, मेरेदिल में उमंगे छाई हैं ।
खुशियों से ---
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