जागी हुई रातों में जब सिर्फ अंधेरे हो आंखों में,
कभी कभी यूंही रोने का मन करता है,
जिंदगी से लिपट कर सोने का मन करता है।
कुछ देर के लिए, ना कुछ याद आए
ना मन के आंगन कोई ख्याल आए,
ना कोई मिले कभी, ना कोई बात हो
बस एक खामोशी हो....
कस के पकड़े जिंदगी
और चेहरा सहला कर कहे,
मैं हूं तेरे पास, तेरे ही लिए हूं
एक दिन चले जाऊंगी...
पर जब तक हूं, तेरे लिए हूं, जी ले मेरे साथ
और मैं कहूं,
कुछ भरा भरा सा रहता है सीने में,
किसी दिन वक्त निकाल कर उड़ेल दूं
जो भी है अंदर.....
To be continued....
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