कुछ दरिंदो की दरिंदगी से रो रहा मेरा हिंदुस्तान है,
कैसे आगे आएगी बेटियाँ, यही सोच कर सब परेशान हैं,
इंसाफ की पुकार करे आवाम, और सरकार कर रही आराम है,
बेटी-बचाओ, बेटी-पढाओ, ये नारा तो जुबान पर सरे-आम है,
लेकिन बेटों को आजकल के माँ-बाप भूल रहे देना संस्कार हैं ।
कुछ दरिंदो की दरिंदगी से रो रहा मेरा हिंदुस्तान है,
कैसे आगे आएंगी बेटियाँ, यही सोच कर सब परेशान हैँ ।।
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