जब संसार बना तो पहाड़, सागर, पत्थर, और धूल इत्यादि ही था!
फिर इन्हें रहा नहीं गया तो, इन्होंने निर्माण किया पेड़-पौधों का!
जब पेड़-पौधे आएं तो, कुछ दिनों तक तो शांत रहे!
फिर उन्हें भी नहीं रहा गया तो, उन्होंने निर्माण किया पशु-पक्षी और जानवरों का!
फिर जानवर आए शांत रहे, लुफ्त उठाएं संसार की!
किंतु वो भी थोड़े दिनों बाद, विकास में लग गए और निर्माण किए मनुष्य का!
तब जा कर यह संसार संपूर्ण हुआ!!
परंतु चूक सिर्फ एक जगह हुआ :-
मनुष्य में कुछ लोग, अधर्म के रास्ते पर जा कर जन्म दिया धर्म का!
और फिर धर्म का नाम देख कर डर फैलाया और अपना शासन इतना मजबूत किया!
कि इस संसार को रचने वाले, मनुष्य के रूप में जन्म लेकर!
हर युग में कितने सारे उपदेश दे गए!
अब तक कितने महान परम आत्माएं आए!
और धर्म पर कितनी सारी उपन्यास, वेद, और पुराण इत्यादि लिख गए!
किंतु यह अधर्मी लोग, उन सारे विचारों को भी भरमा कर, डर ही फैला रहे हैं!
और उन सभी महान परम आत्माओं को हर एक क्षण! हर एक पल! सिर्फ बेच रहे हैं!
और इस प्यारे से संसार को, अंधकार के तरफ ले जा रहे हैं!
अपनी शासनकाल को, और भी मज़बूत करने के लिए!
अब फैसला हम मनुष्यों पे है!
क्या ऐसे ही हम सब अपनी परम आत्माओं की बोली लगाते रहेंगे?
या उन परम आत्माओं को समझ कर!
उनके दिए हुए उपदेशों को, तथ्यों के साथ समझकर उन्हें सम्मान प्रदान करेंगे!
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