शिव ही नर है, शिव ही नारी
शिव ही सत्य है, शिव ही असत्य
शिव ही रचयिता, शिव ही विनाषक
शिव ही भाग्य, शिव ही विधाता
शिव ही निर्मल है, शिव ही क्रोध है
शिव ही आरंभ है ,शिव ही अंत है
शिव ही अमृत, शिव ही विष है
मनुष्य भी शिव ही,ईश्वर भी शिव ही
श्रृष्टी का रचयिता भी शिव ही ।
गंगा जिसकी जटा में
भ्रह्मंड का वो राजा है
नंदी की सवारी करे वो
वो मेरा भोला शंभुनाथ है।।
"सावन का महिना"
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