QUOTES ON #COMMUNALHARMONY

#communalharmony quotes

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24 MAR 2020 AT 23:50

धर्म की कट्टरता पर कब तक खून बहाओगे ,
अब भी समय है ,अपनी भूल को समझो,
तभी दोबारा खुल कर जी पाओगे,
धर्म नहीं सिखाता आपस में बैर करना,
धर्म सिखाता है आपस में प्रेम करना।
जब तक मनुष्य ये बात समझे ,
तब तक कही बहुत देर ना हो जाये ।
जब तक मनुष्य ये हालात समझे ,
तब तक कही ये दिन ना ढल जाए।

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अगर आप लिखी हुई बातों पर यक़ीन करते हैं, तो मेरी भी बातों पर यक़ीन आपको करना ही होगा.

मैं कई बार उन रूहों से बातें करता हूँ जो पहले इंसानी जिस्म में रहतीं थीं । जिस इंसान के दिमाग़ में जाति और धर्म के नफ़रती कीड़े भरे पड़े थे, वो सारे दोज़ख में उन कुत्तों का सड़ा गोश्त खाते हैं जिन्होंने इंसानों को नफ़रत का पाठ पढ़ाया था।
बमुश्किल कुछ रूहें जन्नत में हैं जिन्होंने धरती पर इंसानों को इंसानियत का सबक सिखाया था और सबकी खुशियों की ख़ातिर अपनी पूरी जिंदगी खपा दी थी।
और हाँ, जन्नत में कोई मंदिर, मस्जिद,गुरुद्वारा, गिरिजाघर, अगियारी सिनेगांग वगैरह नहीं है।
वहाँ केवल 'प्रेम' है, केवल 'प्रेम.'
अगर किसी को मेरी बातों पर यक़ीन नहीं है तो मैं कर भी क्या सकता हूँ!?

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11 NOV 2019 AT 13:01

मुल्क में कोई मस्कन ओ क़बा से महरूम
तो किसी को शब ओ रोज़ भूखा सोना है
ग़म ए बेरोज़गारी का फ़रोग़ पुरजोश में है
पर मेरी अवाम को दैर ओ हरम पे रोना है

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कौन सुनेगा अकड़ में?

बिखरा है हिंदुस्तान वहाँ, बँटे हैं भगवान जहाँ,
एकता,सद्भाव की बातें, आती अब किसे रास यहाँ?
लोकतंत्र हमारे देश का ; आज है जाति, धर्म का दास बना।
सादे लिबास की आस्तीनों में है, नफ़रत का खंजर खून सना।
सोने, चाँदी हो गए महँगे, और सस्ती हो गई जान यहाँ,
मरघट जाने को आतुर दिखता है, सड़कों पर हिंदुस्तान यहाँ।
लोकतंत्र को राजतंत्र, बनाने का चल रहा है खेल,
फतवे पर फतवे होते हैं, नहीं होती है किसी को जेल,!
इंसानों की मति मारी गई है; मंदिर, मस्जिद के चक्कर में ,
कोरोना ने बता दी है सच्चाई, पर कब कौन सुनेगा अकड़ में?
कितने आए कितने चले गए, और आगे भी आना-जाना है,
जब दिखता नहीं खुली आँखों से, व्यर्थ अलख जगाना है।
अभी भी समय है गर चेते हम, भविष्य भी सुधर भी जाएगा,
और जो ज्यादा अकल दिखाई, सब चला अधर में जाएगा।
सियासतदान करें सियासत, उनकी नब्ज़ टटोलें हम,
उनकी कथनी और करनी में, मिलकर अंतर तोलें हम।
एक कुर्सी और थोड़ी-सी शान ,और उनका क्या जाएगा?
समझ सके न हम जो खेल, कहीं इंसान नजर ना आएगा।
छोटी- सी हमारी जिंदगी है, लड़-मरकर हासिल होगा क्या?
अपनी खुद की खैर नहीं है, तू पुश्तों का करने चला भला,!!

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17 FEB 2021 AT 16:14

क्रांति हो!

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25 FEB 2021 AT 16:17

खुदा

तुम्हारे कहने से वो खुदा नहीं है।
तुम्हारे रहने से वो खुदा नहीं है।
जिसके नाम पर लड़ रहे हो आपस में,
जान लो, तुम्हारे लड़ने से भी वो खुदा नहीं है।।

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22 DEC 2019 AT 18:50

ज़ेहन mein Jab logo keliye घृणा hai
toh Dil beshak Patthar hai.

इंसानियत chhod, राजनीति ko chahne lage
toh Dil beshak Patthar hai.

भाईचारा chhod, नफरत ki Nazar hai
toh Dil beshak Patthar hai.

पेट ki भूख se jyada, लालच ki भूख hai
toh beshak Dil Patthar hai.

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तुम भी न, हद करती हो।

जालिम ज़माने का हाल पूछती हो!
मरे हुए खुदा से सवाल पूछती हो!
अरे, खुदा का घर भी बना रहा है इंसान यहां,
लगायी है किसने ये आग, किसकी मजाल पूछती हो?

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8 MAY 2020 AT 10:22

मैं मुसलमान हुं,मैं हिंदुस्तान हुं।
मैं जंजीरों के तले पनपा इमान हुं,
मै सच्चाई के दिल मे धड़कती जान हुं,
मै आज इस नफ़रत से हैरान-परेशान हुं।
मैं मुसलमान हुं,मैं हिंदुस्तान हुं।।

मैं यमुना का पानी पीता हुं,
मैं गंगा की मिट्टी का फसल खाता हुं,
मैं भारत की हवा में साँस लेता हुं।
मैं मुसलमान हुं,मैं हिंदुस्तान हुं।।

मैं गांधी के साथ चलता गफ्फार खान हुं,
मैं भगत सिंह के खून में विलीन अशफ़ाकुल्ला खान हुं,
मै देश को सलाम करता अब्दुल कलाम हुं।
मैं मुसलमान हुं,मैं हिंदुस्तान हुं।।

मैं ना होता तो 1857 ना होता,
मैं ना होता तो ये मिनारें ये गुंबद न होते,
मैं ना होता तो हिंदू-सिख-इसाई का एक भाई न होता,
मै ना होता तो हिंदुस्तान हिंदुस्तान ना होता।
मै मुसलमान हुं, मैं हिंदुस्तान हुं।।

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20 AUG 2021 AT 20:07

सर पे मत चढ़ाओ

छोटी-सी यह जिंदगी है, मस्ती से काटो और जाओ।
दुःख बहुत हैं पहले ही, लड़कर उन्हें और न बढ़ाओ।।
अरे,मरेंगे वो भी कि वो खुदा नहीं है, सच यही है एक;
मूर्खों की भाँति हल्ला करके, उनको सर पे मत चढ़ाओ।

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