जब से हम समझदार हुए
दुनियादारी सीख गए,
कौन है अपना कौन पराया
यह सब समझ गए,
जीवन में खाकर के ठोंकरें
ठोंकर के परिणाम झेल गए।
जब से हम समझदार हुए
अनुभवों का लबादा ओढ़ गए,
जीवन में संगत और पंगत का
हर तात्पर्य भी समझ गए,
ठाकुर कैसे बनते है यह
ठोंकरें खाकर के बूझ गए।
-