किसी घनी रात के बाद आने वाली सुबह की पहली प्रकाश हो तुम...
किसी तेज तूफान के जाने से, मन मे आने वाली सुकून का एहसास हो तुम...
किसी प्रचंड प्रलय के बाद होने वाली प्रकृति की नई शुरुआत हो तुम....
तीव्र आवेग मे भी ना विनाश होने वाली स्थिरता का दौर हो तुम....
तुम शीतलता मे गर्माहट का स्पर्श हो ,
तुम क्रोधित चित्त मे विनम्रता का आभास हो ,
तुम उत्साह का परिणाम हो..
तुम रविवार की शाम हो.....!!
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