तेरे ख़्याल भी खियाबां की तरह है ,
जो महकाते है मेरे दिल के आशियाने को,
कभी यादो का नग़मा बनकर,कभी ख़्वाबो की ताबीर बनकर,
कभी बिखर जाता है चेहरे पर मुस्कान बनकर ,
किसी गुज़रे ज़माने की तरह,किसी पुराने अफसाने की तरह
कभी मेरी बेचैन रूह को सुकू़न देता है खियाबां की खुशबु बनकर
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