QUOTES ON #CLUELESS

#clueless quotes

Trending | Latest
27 JAN 2018 AT 13:41

When I stand clueless today, it was not something surprising!!!
I knew this would happen...I knew that it'll all go wrong if I do not take that big step...knowing this, i landed here...absolutely clueless...
why did it happen?
who is at fault??

-


27 NOV 2020 AT 13:31

Sometimes, I feel like
I don't know who I am.
It's like doing something
I want as well as I don't
at the same damn time.
Ah! Life can't be like that
of Schrödinger's cat...

-


16 APR 2018 AT 3:17

"माँ,
अब ऐसे आबोहवा में
जीना फ़िज़ूल लगता है।
अब औरत होना एक कमज़ोरी,
एक कसूर लगता है।"

-


10 DEC 2020 AT 17:54


उड़ाने चाहे लाख भर लो अम्बर में, रहोगे तो सृष्टि के ही।

-


18 APR 2017 AT 21:55

बेअदब सी चल रही है साँसे युहीं
बैठ एक रोज़ फुर्सत से
नक्काशी में मेरी
शामें गुज़ारे तो कोई

पत्थर ही समझ ले मुझे
पर आकर ज़रा तराशे तो कोई।

-


17 DEC 2020 AT 12:20

In life,
Memories are endless.
Some things remain clueless.
Some words remain unsaid.
But anyways, truth remains
Truth!!

-


13 MAY 2018 AT 13:26

Having crossed
more than half a way

I'm still clueless
about where to reach

-


9 FEB 2018 AT 22:03

We LL still be Love birds!!
Please read the caption...✌️

-


3 JAN 2018 AT 1:11

I see many shades in you
Shades I have never seen before
Maybe it's only you
Trying to put on different masks
Confusing me,

A clueless soul I am
Trying to know you
Only to end up hurting.



-


14 JUL 2021 AT 20:57

कई दिनों से कितना कुछ देखते आया, कितना कुछ महसूस हुआ और कितना होते–होते रह गया। जैसे बारिश की उस आखिरी बूंद को आप देखते हैं, और गिरने का इंतजार करते हैं, पर वो जब टप्प से गिरती हैं, तो एक पल के लिए डरा देती हैं। आप आंख मूंद लेते हैं। उसकी ठंडक महसूस नही होती हैं, उसके इंतजार में गुम हो जाती हैं।
अब जो कुछ महसूस हुआ, वो इस उलझन में उलझा रहा कि, क्या ऐसे वक्त में सभी महसूस करते हैं या मेरा अलग हैं? क्या करना होता हैं ऐसे वक्त में?
मानो! जैसे कुछ पता ही ना हो, जैसे सब आपके व्यक्तित्व से विपरीत हो। फिर हम सोचते हैं, मेरा व्यक्तित्व हैं ही क्या? क्या ये मेरा खुद का गढ़ा हुआ हैं या हालातों से पैदा हुआ मेरा हमशक्ल, जो दिखता तो मेरे जैसा हैं पर बनावटी हैं।
एक वक्त बाद, क्या हम भूल जाते हैं कि हमें क्या चाहिए, आख़िर हम आज जो कुछ भी कर रहें हैं , उसमें हमारी मर्जी कितनी हैं? क्यों, हम ख़ुद को हालतों और जज़्बातों को सौप देते हैं? शायद हम हिम्मत नहीं जुटा पाते, या खुद के आत्मविश्वास को रोज मरते देखते–देखते ये आदत में शामिल कर लेते हैं की यही अपने लिए सही रहेगा और संतोष नाम की पुड़िया का एक खुराक रात को दबा लेते हैं।
ख़ैर!
"खुलकर हर बात कह तो दू,
चुप रहने का क्या फ़ायदा,
चर्चे में तमाम रातें होंगी,
खुद को ही बदनाम करने का क्या फ़ायदा,
अब तो यूंही,आना जाना लगा रहेगा,
सरेआम होने का क्या फ़ायदा"

-