शेर मेरे तुम तो खराब से खराब चुरा लोगे ,
और ग़ज़लें भी मेरी किताब से चुरा लोगे ,
इस धंधे में खिलाड़ी मालुम होते हो तुम ,
डर है कि तुम खुशबू गुलाब से चुरा लोगे ,
चाँद घटता , ये आसमान घबराया हुआ है ,
क्या तुम अदाएं भी आफताब से चुरा लोगे ?
खुली आँखों से देखें हैं कुछ सपने हसीन ,
नींद बनकर तुम सब मेरे ख़्वाब से चुरा लोगे |
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