एक औऱ बात कैसे बतलाऊं
ये दिल क्या करता था
छिप-छिप कर तुमको देखा करता था
एक औऱ बात कैसे बतलाऊं
ये दिल क्या करता था
तेरी आँखों का काजल देखा करता था
एक औऱ बात कैसे बतलाऊं
ये दिल क्या करता था
बिन देखे तुमपे रोज़ मरता था
एक औऱ बात कैसे बतलाऊं
ये दिल क्या करता था
बस इतना समझ लो
तुम्हारे बिन ये दिल जीता था
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