मैंने कहा मैं सिर्फ काँटों भरी हूँ बहुत चुभन होगी,
तुम मुझे फूल गुलाब का बना महकाने आ गए।
मैंने कहा मैं तहज़ीब नहीं जानती हूँ रुसवाई होगी,
तुम मुझे नियमावली बना मुझे सँवारने आ गए।
मैंने कहा मैं रोना नहीं जानती हूँ चुप हो जाऊँगी,
तुम मुझे मेरी चुप्पी से पढ़कर संभालने आ गए।
मैंने कहा मैं कुछ सरफिरी हूँ मुश्किल बन जाऊँगी,
तुम मुझे किसी उलझन की तरह सुलझाने आ गए।
मैंने कहा अपनी गहराइयों में मैं कैद हूँ खो जाऊँगी,
तुम मुझे खुद से आज़ाद करके पंख देने आ गए।
~आना
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