चाँद नहीं सजता है यारों,
गली और चौबारों में
चाँद नहीं मिलता है,
हाट और बाजारों में
चाँद नहीं मंदिर में मिलता
न मस्जिद गलियारों में
इसका नहीं मजहब से वास्ता
प्यार धर्म ही भाता है
इश्क़ करे और इश्क़ समझे
इश्क़ की बोली भाषा है
दिल से दिल का रिश्ता जोड़ो
सब खटास मिटा डालो
भेदभाव सब भूल भाल कर
सब को गले लगा डालो
चाँद यार फिर अपना होगा
जब सब अपने हो जाएंगे
ह्रदय पटल पर देख मित्र तू
कई चाँद खिल जाएंगे
-