दिन पर दिन लगातार,,,बढ़ती जा रही है महंगाई ।।
देख रहा हूं मौन है सब,,,किसी की आवाज ना आई ।।
सब मशगूल है अपने अपने कार्यों में कुछ इस कदर ।।
जात पात धर्म कांड में कर रहे है लड़ाई ।।
बेफजूल की बातों में यूं समय बर्बाद कर देते है ।।
अंधे,बहरे,गूंगे है सभी,,ना सुना,ना बोला ना पड़ा दिखाई ।।
दिन पर दिन इस देश में,,, दंगे फसादों का बोलबाला है ।।
जहां देखो वही पर,,,नई साजिशें है रचाई ।।
बचाना हमें इस देश को है,,ईमान को है इंसान को है ।।
सोच समझकर रखो कदम,,, पग पग पर जाल है बिछाई ।।
हाय हाय रे महंगाई,,, हाय हाय रे महंगाई ।।
सरकार ने जनता लूट खाई,,,सरकार ने जनता लूट खाई ।।
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