जाति-धर्म ने ना जाने कितनो की ज़िन्दगी उजाड़ रखी है,
ना जाने किस ने इन तुच्छ चीजों में इज्जत संभाल रखी है..
ये चोचले इतने ही अच्छे है तो हरे रिश्ते में क्यूँ नहीं लगाते हो,
क्यूँ सिर्फ मोहब्बत में बंधे दो दिलों को जलाते हो..
तबाह की है लोगों ने कितनो की ज़िन्दगी जाति-धर्म की आड़ में,
पूछो जरा क्या बीतती है उस दुल्हन पर घूंघट की आड़ में..
ज़िन्दगी का सबसे खूबसूरत दिन ही दिल सबसे ज्यादा रोता है,
क्या जाति-धर्म जैसी चीजों के बदलने से कोई इज्जत खोता है...
समझते क्यों नहीं सब इंसानों की दुनिया में मोहब्बत सबसे बड़ा धर्म है,
खुश रखे हम सब एक दूजे को जाति-धर्म सब भूलकर यही हमारा कर्म है..
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