बफा की कसमें खाते हो कभी मुसल्ले को भी बफा दिखाया करो नमाज़ अदा करके कभी मुसल्ले को भी सीने से लगाया करो कबूल होते है सजदे मुसल्ले पर ऐसे मुसल्ले से भी इश्क़ फ़रमाया करो थोड़ी वफ़ादरी भी दिखाया करो दिन में पांच वक्त की हाज़री मुसल्ले पर लगाया करो अली मुसल्ला:-(दरी जिस पर बैठकर मुसलमान नमाज पढ़ते हैं)
हमनें तुम्हारे मकान से लेकर अपने चौखट तक दफ़्तर-ए-गुल लगा रखी है।। सुना है तुमको इनसे बेइंतहा मोहब्बत है, इसलिए हमनें फूलों वाली ही कालीन भी बिछा रखी है।।