देखा जो आज भविष्य का चोला अंधकार में
लगता शिक्षा का नया दौर आ गया बाज़ार में
ख़ुश हो जाते हैं एक तरफ बच्चे ये सब सुनकर
पर क्या करे वो परिवार ,गुरु अब सपने बुनकर
कहने को सब जानते समय बड़ा बुरा चल रहा है
पर सोचो किसके हाथों अब भविष्य पल रहा है
कोई डॉक्टर,इंजीनियर, कोई सीए बनने की होड़ में था
उसे ये सब बनाने वाला आज ख़ुद से लड़ रहा है
कौन समझे उस शिक्षक के दिल के हालात
उसे तो कठपुतली सा कर दिया गया दिन-रात
कहने को ढ़ेरों ज़िम्मेदारियाँ होती थी उसके ऊपर
अब हालात देख दया आ रही है उसे भविष्य पर
आख़िर किससे कहे किसको समझाए
क्या सही है क्या ग़लत किसे बताए
ढ़ेरों सुरक्षा मापदंड को सामने रख दिया जाता
अब ये तो समझदार ही जाने कि किसे क्या आता
कौन समझे कि कहाँ कितना झोल है
बस ये दुनिया है यहाँ सब गोलमोल है
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