QUOTES ON #BURDENSOFLIFE

#burdensoflife quotes

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30 SEP 2019 AT 13:57

कि ग़लतियाँ सुधारने का हक़ पेंसिल को था,
पेन को जिम्मेदारियों का बोझ उठाते मैंने देखा है..

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7 JUN 2017 AT 14:27

The crowd started booing the clown within minutes of his arrival on stage,

" You can't keep burden of their laughter aside even once." Recalled his mother's words.

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15 JUL 2021 AT 11:58

" हाथ से बोझ उठाना हो तो उठ भी जाए,
मन का बोझ उठाना मुश्किल होता है।"

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8 DEC 2020 AT 19:17

बोझ होती नहीं, पर बोझ बन जाती है बेटियां,
रिवाजों के घूंघट में घुट कर रह जाती है बेटियां।

हां, सच है कि आसमां तक भी उड़ रही है बेटियां
पर सच है कि कहीं रो रो कर मर जाती है बेटियां।

कभी दुर्गा तो कभी काली का रूप लेती है बेटियां,
आंगन को खुशियों की चहक से भर देती है बेटियां।

जो हाजिरजवाबी हो तो अल्हड़ कहलाती है बेटियां,
जो जाने चुप रहना तो अनपढ़ कहलाती है बेटियां।

प्रेम समर्पण में डुबी कभी मीरा बन जाती है बेटियां,
कभी सौदेबाज़ी में पड़कर धोखा दे जाती है बेटियां।

फ्लर्ट के लिए अच्छी,
और शादी के लिए बेकार हो जाती है बेटियां ।
घर घर सामान की तरह घुमती रह जाती है बेटियां।।

कई बार प्रथाओं की बली चढ़ जाती है बेटियां,
चंचलता को जिम्मेदारियों में छिपाकर जी जाती हैं बेटियां।

बोझ होती तो नहीं,
पर समय की मार से बोझ बन जाती हैं बेटियां।
रिवाजों के घूंघट में घुट कर रह जाती है बेटियां ।।

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11 MAY 2018 AT 20:49

I get out of bed with drowsy eyes when i realise that sleeping too much can expand the burdens of my life.

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10 JUN 2020 AT 2:13

मुसाफ़िर-

क्या पाया, क्या कुछ खोया
मुसाफ़िर बस यूँ बैठकर रोया
मंज़िल पास खड़ी थी
पर उसे कहाँ पड़ी थी
वो तो बस गिनता गया रास्ते के पत्थर
कितने कतरे गिरे लहू के बहकर
कितने कतरे हुए दिल के बहककर
क्या कुछ नहीं झेला
किस-किस ने कैसे खेला
दिल पत्थर हुआ, फिर चूर हुआ
जो भी पास था, फिर दूर हुआ
किसने कटार चलाए रुलाकर
कितने कतार लगाए मुस्क़ुराकर
यादों का काफ़िर सजाये वो राग अधूरी अलापता
कभी रोता-गाता, कभी कितना चला वो दूरी नापता
थम सा गया राही, ज़ोरों से रो पड़ा
गुनाह था उसका जो औरों से बड़ा
उसके दुःख के बोझ तले पूरा क़ाफ़िला दबा था
साथियों के दिल पर भी तो उसका ही दबदबा था
सबकुछ खोया था, अब वक्त भी खो दिया
मानकर गलती अपनी मुसाफ़िर फिर से रो दिया..

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7 OCT 2022 AT 23:18

I,
don't regretted my words
I,
don't have night long laments for my dead father
I,
abhor the smell of burnt popcorn
I,
deplore all violence,
the myriad political scene
like myraids of insects danced
around the light above my head
I,
left the church because of its
misogynist teachings on women
and their position on society
I,
don't want to be a mother,
Overpopulation, a serious problem
the world to be deal with.

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6 SEP 2020 AT 21:34

Memories of love
without you
are a burden.

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26 AUG 2020 AT 11:20

She carries the
burden of others
just for his sake.
she fell,
she broke,
and lost all her worth
cause of
him only!

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5 JUN 2019 AT 12:02

Your ignorance
express your
separation from me
clearly!

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