भीगी भीगी पलकों में तेरे नाम की मोती बहती है
यादों की ज्वार-भाटा में दिल की धड़कन जलती है
बातों को याद करूं तो गलती समझ नहीं आती है
कहीं देरी हुई,कहीं जल्दी हुई,बस इतनी सी तो गलती है
जलेगी एक दिन तू भी इस हिज़्र कि दूरी में
क्या कोई मिलेगा मुझ जैसा इस खुदगर्जी के आलम में,,,,,
-