#सावली (कविता)
ये रंग जचता नहीं तुझपे,
रंग तेरा सावला है,
इतने में ही मेरा सहमा मन बोला,
मैंने रंगों को चुना है,
रंगों ने मुझे नहीं,
सावली हूँ ,
मैं श्वेत रंग पर कहर ढाती हूँ,
राधा सी गोरी नहीं,
मैं श्याम रंग में रंग जाती हूँ,
दूध सी गोरी नहीं,
मैं चाय सी महक जाती हूँ,
सावली हूँ,
मैं श्वेत रंग पर कहर ढाती हूँ,
रूठने पर,
बिजली सी चमकती नहीं,
मैं बादलों सी बरस जाती हूँ,
चाँद नहीं,
मैं चाँद पर दाग सी सज जाती हूँ,
सावली हूँ,
मैं श्वेत रंग पर कहर ढाती हूँ।
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